गुरु, शुक्र और शनि तीन ग्रह हो रहे हैं वक्री, मचेगी उथल-पुथल

पं. गजेंद्र शर्मा, ज्योतिषाचार्य 

शनि 11 मई 2020, सोमवार को सुबह 9.40 बजे मकर में वक्री,
29 सितंबर 2020 को सुबह 10.44 बजे मार्गी, कुल 142 दिन

शुक्र 13 मई 2020, बुधवार को दोपहर 12.17 बजे वृषभ में वक्री,
25 जून 2020 को दोपहर 12.21 बजे मार्गी, कुल 44 दिन

गुरु 14 मई 2020, गुरुवार को रात 9.05 बजे मकर में वक्री,
13 सितंबर 2020 को सुबह 6.10 बजे मार्गी, कुल 122 दिन

सूर्य 14 मई 2020, गुरुवार को सायं 5.16 बजे वृषभ राशि में प्रवेश करेगा


तीन बड़े और प्रमुख ग्रहों का वक्री होना प्रकृति, पर्यावरण और सामान्यजन के लिए उथल-पुथल मचाने वाला साबित हो सकता है। मकर राशि में चल रहे शनि 11 मई को वक्री हो जाएंगे। वृषभ राशि में चल रहे शुक्र 13 मई को वक्री होंगे और मकर राशि में ही चल रहे गुरु 14 मई को वक्री हो जाएंगे। इन तीन ग्रहों का एक ही सप्ताह में वक्री होना भारी संकटों वाला साबित होगा। दुर्भिक्ष, प्राकृतिक आपदाएं, भूकंप, वाहन दुर्घटनाएं, अग्निकांड, अचानक आई आपदाओं में जन हानि, जल प्रलय, रोगों में वृद्धि और अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाने वाला साबित होगा। वर्तमान में जो परिस्थितियां चल रही हैं, इन ग्रहों के वक्री होने से उनमें वृद्धि होने की संभावना है।

शनि वक्रेच दुर्भिक्षं रूण्ड मुण्डा च मेदिनी
अर्थात् शनि के वक्री होने से देश-दुनिया में दुर्भिक्ष बढ़ता है। बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु होती है। प्रलय जैसी घटनाएं होती हैं। प्रचंड गर्मी होती है। लोग बेहाल होते हैं।

गुरु वक्रे स्थिरे रोगो
अर्थात् गुरु के वक्री होने से रोगों में वृद्धि होती है।

शुक्र वक्र महर्घता
अर्थात् शुक्र के वक्री होने पर पृथ्वी पर घातक परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं। अनेक लोगों की जान जाती है। दक्षिण-पश्चिम प्रदेशों के लिए भयकारक स्थिति उत्पन्न होती है।

ग्रहों के वक्री होने के संबंध में उपरोक्त श्लोकों को देखा जाए तो यह स्पष्ट है कि वर्तमान में चल रही कोरोना नामक महामारी में वृद्धि होने की आशंका है। शनि 11 मई से 29 सितंबर तक कुल 142 दिन वक्री रहेंगे। शुक्र 13 मई से 25 जून तक कुल 44 दिन वक्री रहेंगे। इसी तरह गुरु 14 मई से 13 सितंबर तक 122 दिन वक्री रहेंगे। यदि इन ग्रह परिस्थितियों को कोराना के संदर्भ में देखा जाए तो इस महामारी से 29 सितंबर के बाद ही राहत मिलने के आसार हैं। इसमें भी 25 जून के बाद का समय अधिक घातक साबित हो सकता है। 

उभर सकता है नया रोग

शनि और गुरु के एक ही राशि में स्थिति होकर वक्री होना इस बात का भी संकेत दे रहा है कि कोरोना के अलावा किसी अन्य प्रकार के रोग के उभरने की आशंका भी प्रबल हो रही है। या कोई पुराना रोग ही फिर से अपने पैर पसार सकता है, जिसके प्रभाव से जनता बेहाल होगी। इस समय में राष्ट्रों में मतभेद चरम पर होंगे। युद्ध जैसे हालात भी बन सकते हैं। दुनिया की अर्थव्यवस्था में जबर्दस्त तरीके से गिरावट देखने को मिलेगी। विमान और रेल दुर्घटना, भीषण अग्निकांड, परमाणु विस्फोट, समुद्र में उथल-पुथल, आंधी-तूफान, अतिवृष्टि की आशंका भी है। शनि-बृहस्पति का द्वंद्व योग इन सभी घटनाओं का कारक बन सकता है।