नवग्रहों की पीड़ा से मुक्ति दिलाएंगे पशु-पक्षी

पं. गजेंद्र शर्मा, ज्योतिषाचार्य

परमात्मा ने समान भावना से मनुष्य, पशु-पक्षी, पर्यावरण और प्रकृति का निर्माण किया है। इन सभी का जीवनचक्र एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। सभी एक-दूसरे पर निर्भर है। यही कारण है कि मनुष्य की गतिविधियों के अनुसार प्रकृति अपनी प्रतिक्रिया देती है और प्रकृति की प्रतिक्रिया के अनुसार पशु-पक्षी अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं। आपने अक्सर महसूस किया होगा कि जब प्रकृति में कुछ उथल-पुथल होने वाली हो, कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा आने वाली हो तो पशु-पक्षियों का व्यवहार बदल जाता है। इसी तरह मनुष्य के भविष्य में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं का संकेत भी पशु-पक्षी दे देते हैं, बस जरूरत होती है उन संकेतों को समझने की।


घरों में विभिन्न प्रकार के प्राणियों को पालने की परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है। इनमें पशु भी होते हैं और पक्षी भी। ज्योतिष शास्त्र में पशु-पक्षियों को पालने के लिए कुछ नियम बताए गए हैं। कोई भी व्यक्ति किसी भी पशु या पक्षी को नहीं पाल सकता। ज्योतिष के अनुसार ग्रह-नक्षत्रों के साथ विभिन्न प्रकार के प्राणी सम्बद्ध है। उदाहरण के तौर पर किसी के लिए कुत्ता पालना शुभ हो सकता है, लेकिन किसी के लिए यह नुकसानदायक भी हो सकता है। किसी के लिए तोता, कबूतर या अन्य पक्षी पालना फायदेमंद होता है तो किसी के ग्रह इससे विपरीत प्रभाव भी दे सकते हैं। जरूरी नहीं कि अपने ग्रह से संबंधित पशु या पक्षी को पाला ही जाए, उनकी सेवा करने से भी ग्रहों की अनुकूलता प्राप्त होती है:

आइये हम जानते हैं ज्योतिष के अनुसार किन ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति के लिए किन पशु-पक्षी की सेवा करना चाहिए: 

सूर्य : जन्मकुंडली में यदि सूर्य खराब हो तो घोड़े की सेवा करें। उसके चारा-पानी का प्रबंध करें। पक्षियों में बुलबुल, हंस और अन्य गाने वाली चिडि़यों के लिए अपने घर की छत पर या आंगन में दाना-पानी रखें। इन परिंदों की सेवा से सूर्य की अनुकूलता प्राप्त होती है।

चंद्र : जन्मकुंडली में चंद्र बुरे प्रभाव दे रहा हो तो कुत्ता, बिल्ली, चूहा, कछुआ, बतख, पानी की चिडि़या, कस्तूरा मछली आदि की सेवा करें। समय-समय पर पशु-पक्षियों के भोजन का प्रबंध करें। इनमें से जो पशु-पक्षी पालना चाहें उन्हें अपने घर में भी रखा जा सकता है।

मंगल : मंगल ग्रह से संबंधित पशु हैं हाथी, लोमड़ी, शिकारी कुत्ता और पक्षी हैं बाज, चील और गिद्द। जिन लोगों के पास इनमें से कोई पशु-पक्षी हो वहां जाकर आप इन पशु-पक्षियों के खाने के निमित्त कुछ भेंट दे सकते हैं। इससे मंगल ग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं।

बुध : कुत्ता, बकरी, बंदर, नेवला, तोता, रेंगने वाले जीव के प्रतिनिधि ग्रह बुध हैं। यदि बुध ग्रह से संबंधित कोई पीड़ा चल रही हो तो इन पशु-पक्षियों की सेवा करें लाभ होगा। इनमें से जिन्हं आप घर में पाल सकते हैं उन्हें जरूर पालें। तोता पालकर उसकी सेवा से लाभ होता है।

गुरु : बैल, घोड़ा, हाथी, हिरण, घरेलु पशु, चील, मोर, तीतर, मछली इन पशु-पक्षियों पर बृहस्पति का शासन चलता है। इसलिए गुरु से संबंधित समस्याओं के लिए इनकी सेवा करें। यथाशक्ति इन्हें इनकी पसंद का आहार दें। मछलियों को आटे की गोली बनाकर खिलाएं। मोर को दाना खिलाएं।

शुक्र : शुक्र ग्रह से संबंधित पीड़ाओं से मुक्ति के लिए बकरी, सांड, गौरैया, कबूतर, फुदकने वाली छोटी चिडि़या के लिए दाना-पानी का प्रबंध करें। कबूतर का जोड़ा दान करने से भी शुक्र की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। गौरैया के लिए घर की छत पर दाना-पानी रखना शुभ होता है।

शनि : बिल्ली, गधा, खरगोश, भालू, उंट, भैंस, जहरीले जीव-जंतु, समुद्री मछली, उल्लू आदि शनि ग्रह से संबंधित हैं। यदि शनि की पीड़ा हो या शनि की साढ़े साती चल रही हो तो इन पशु-पक्षियों, जंतुओं की सेवा करें। किसी कुम्हार के यहां जाकर गधे को चारा खिलाएं। 

राहु-केतु : जहरीले जीव-जंतु, काले, भूरे रंग के पशु-पक्षी पर राहु-केतु का प्रभाव रहता है। इन दोनों ग्रहों की पीड़ा होने पर इन रंगों के जंतुओं की सेवा करें। लाभ मिलेगा। 

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