ग्रहों की नजर से देखिए, क्यों होते हैं हनीट्रैप जैसे मामले

- पं. गजेंद्र शर्मा

देशभर में इन दिनों मध्यप्रदेश के भोपाल और इंदौर में हुए हनीट्रैप का मामला सुर्खियों में है। इस मामले में कई बड़े अफसरों, नेताओं के जुड़े होने की बात कही जा रही है। हर दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में भी विभिन्न् पॉलिटिकल पार्टी के नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। वासना के इस खेल में आगे और क्या-क्या बात सामने आती है और कौन लोग फंसने वाले हैं यह तो जांच का विषय है, लेकिन यदि ज्योतिष की दृष्टि से देखा जाए तो किसी व्यक्ति को कामुक बनाने और इस तरह के मामलों में फंसाने के लिए उसकी जन्मकुंडली में मौजूद ग्रह स्थितियां जिम्मेदार होती हैं। इनमें खासतौर पर शुक्र और मंगल का अधिक रोल होता है।



वैदिक ज्योतिष में शुक्र को यौन इच्छाओं का कारक ग्रह माना गया है, लेकिन मंगल इन यौन इच्छाओं को भड़काने और अनियंत्रित करने का काम करता है। वहीं बृहस्पति मंगल द्वारा भड़काई हुई यौन इच्छाओं को काबू करने का काम करता है। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि यदि जातक शुक्र और मंगल के दुष्प्रभावों से घिरा हुआ है तो निश्चित रूप से उसकी काम वासना अनियंत्रित होती है और वह यौन दुराचार के मामलों में फंसता है। ऐसा व्यक्ति स्त्रियों के कारण बदनामी का सामना करना पड़ता है। वहीं स्त्रियों की कुंडली में ऐसी ग्रह स्थितियां होने पर वे अपनी यौन जिज्ञासाओं की शांति के लिए पुरुषों का सहारा लेती हैं। जिन लोगों की कुंडली में मंगल भड़का हुआ है लेकिन बृहस्पति प्रबल है तो वह अपनी ऐसी इच्छाओं को काबू करने में सक्षम होता है।

आइए जानते हैं वे कौन-कौन की ग्रह स्थितियां होती हैं
जो व्यक्ति की यौन इच्छाओं के लिए जिम्मेदार होती हैं : 
  • यदि लग्न और बारहवें भाव के स्वामी एक साथ केंद्र या त्रिकोण में बैठ जाएं या आपस में स्थान परिवर्तन कर रहे हों तो पर्वत योग का निर्माण होता है । इस योग के चलते जहां व्यक्ति भाग्यशाली, कर्म शील, दानी, यशस्वी, संपत्ति का अधिपति होता है, वहीं वह व्यक्ति अत्यंत कामी भी होता है और अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए एक से अधिक स्त्रियों का गमन करता है।
  • यदि लग्न का स्वामी सप्तम स्थान में बैठा हो, तो ऐसे व्यक्ति की रुचि विपरीतलिंगी सेक्स के प्रति अनियंत्रित रूप से होती है। वह दिन-रात सेक्स के बारे में ही सोचता रहता है।
  • यदि लग्न का स्वामी सप्तम में और सप्तम का स्वामी लग्न में हो तो व्यक्ति स्त्री और पुरुष दोनों में समान रूप से रुचि रखता है।
  • सातवें भाव में मंगल, बुद्ध और शुक्र एक साथ बैठे हों और इन पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो व्यक्ति अप्राकृतिक सेक्स का आदि होता है।
  • मंगल और शनि सप्तम स्थान में हो तो जातक समलिंगी होता है। 
  • तुला राशि में चंद्र और शुक्र की युति जातक की काम वासना को कई गुना बढ़ा देती है।
  • सप्तम भाव में शुक्र की उपस्थिति जातक को अत्यंत कामुक बना देती है।
  • शुक्र पर मंगल/राहु का प्रभाव हो तो जातक कई लोगों से शारीरिक संबंध बनाता है और उन्हीं के कारण वह पुलिस के मामलों में फंसता है।
  • गुरु लग्न/चतुर्थ/सप्तम/दशम स्थान पर हो या द्वादश भाव में हो, तो जातक अपनी वासना की पूर्ति के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है।
  • शनि लग्न में हो तो जातक में वासना अधिक होती है। पंचम भाव में शनि अपनी से बड़ी उम्र की स्त्री से आकर्षण, सप्तम में होने से व्यभिचारी प्रवृति, चंद्र के साथ होने पर वेश्यागामी, मंगल के  साथ होने पर स्त्री में और शुक्र के साथ होने पर पुरुष में कामुकता अधिक होती है।
  • शनि की चंद्र/शुक्र/मंगल के साथ युति जातक में काम वासना को काफी बढ़ा देती है, ऐसा जातक स्त्रियों के चंगुल में फंसकर अपनी धन-संपत्ति गंवा बैठता है।
  • चंद्र बारहवें भाव में मीन राशि में हो तो जातक अनेकों स्त्रियों का उपभोग करता है और स्त्रियां अनेक पुरुषों का।
  • मंगल की उपस्थिति 8 /9 /12 भाव में हो तो जातक अधिक कामुक होता है।
  • मंगल सप्तम भाव में हो और उस पर कोई शुभ प्रभाव न हो तो जातक नाबालिगों के साथ संबंध बनाता है।
  • मंगल की राशि में शुक्र या शुक्र की राशि में मंगल की उपस्थित हो तो जातक में कामुकता अधिक होती है।