इस बार जन्माष्टमी पर द्वापर युग जैसे संयोग, एक मंत्र से दूर हो जाएगी संतान की कमी

ज्योतिषाचार्य पं. गजेंद्र शर्मा

इस बार जन्माष्टमी पर कुछ विशेष ग्रह संयोग बन रहे हैं। पंचांगों के अनुसार इस बार जन्माष्टमी पर वृषभ लग्न, अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बन रहा है जो द्वापर युग में श्रीकृष्ण के जन्म के समय बना था। जन्माष्टमी भी दो दिन मनाई जाएगी। स्मार्त मतानुसार 2 सितंबर को और वैष्णव मतानुसार 3 सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।


द्वापर युग मे श्रीकृष्ण के जन्म जैसा यह संयोग 2 सितंबर को बन रहा है। इस दिन मध्यरात्रि में 12 बजे अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र और वृषभ लग्न का संयोग रहेगा। उज्जैनी पंचांगों के अनुसार भाद्रपद की अष्टमी तिथि 2 सितंबर (रविवार) को रात 8.47 से अगले दिन 3 सितंबर (सोमवार) को शाम 7.19 बजे तक रहेगी, जबकि रोहिणी नक्षत्र रविवार रात 8.48 से सोमवार रात 8.04 बजे तक रहेगा। रविवार रात 10.36 से रात 12.35 बजे तक वृषभ लग्न रहेगा। श्रीकृष्ण का जन्म मध्यरात्रि, वृषभ लग्न, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। 2 सितंबर को यह संयोग बनने से जयंती योग बन रहा है।

स्मार्त और वैष्णव मत में भेद
2 सितंबर को पूजा का समय रात 12.03 से 12.48 बजे तक रहेगा। 2015 में स्मार्त और वैष्णव मत वालों ने एक ही दिन जन्माष्टमी मनाई थी। 3 सितंबर को रात 8 बजे तक अमृतसिद्धि योग रहेगा। वैष्णव मत में उदया तिथि के अनुसार त्योहार मनाया जाता है। उदया तिथि में अष्टमी 3 सितंबर को है, इसलिए वैष्णव मत वाले इस दिन पर्व मनाएंगे। स्मार्त मत में जिस दिन अष्टमी तिथि मध्यरात्रि में होती है, उस दिन जन्माष्टमी मनाई जाती है।

संतान प्राप्ति का अचूक दिन
नि:संतान दंपतियों के लिए इस बार की जन्माष्टमी विशेष प्रयोजन वाली रहेगी। जिन्हें अब तक संतानसुख प्राप्त नहीं हुआ है वे इस दिन सिर्फ एक मंत्र का जाप करें, उनकी संतानसुख से जुड़ी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। इस मंत्र के बारे में अधिकांश लोग जानते होंगे लेकिन इसे सिद्ध कैसे किया जाए और इसका प्रयोग कैसे किया जाए इसकी जानकारी किसी को नहीं होगी। यह मंत्र है संतानगोपाल मंत्र। श्रीकृष्ण का यह मंत्र अत्यंत प्रभावी है। इसका जाप यदि जन्माष्टमी की रात्रि में किया जाए तो कैसी भी नि:संतानता हो, वह दूर हो जाती है। 

मंत्र : 
ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते ।
देहि मे तनयं कृष्णं त्वामहं शरणं गत: ।।

कैसे करें जाप :
इस मंत्र को जन्माष्टमी की रात्रि में वृषभ लग्न, रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि में 21 माला जाप करना है। माला स्फटिक की हो। मंत्र जाप के लिए घर के पूजा स्थान में पीले रंग का आसन बिछाकर बैठ जाएं। सामने पटिए पर पीला रेशमी कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इस पर मोरपंख लगाएं। मूर्ति के सामने एक कटोरी में माखन और मिश्री भरकर रखें। दूसरी कटोरी में शुद्ध जल भरकर रखें। अपनी इच्छित कामना की पूर्ति के लिए हाथ में पूजा की सुपारी, अक्षत, पीला पुष्प और 1 रुपए का सिक्का रखकर संकल्प बोलें। इसके बाद धूप-दीप करके मंत्र जाप प्रारंभ करें। यह मंत्र पति-पत्नी दोनों साथ में जाप करें तो बेहतर रहेगा। जाप पूरे होने के बाद अगले दिन 10 वर्ष से कम आयु के 7 बच्चों को भोजन कराएं, वस्त्र भेंट करें। माखन-मिश्री का प्रसाद ग्रहण करें और दूसरी कटोरी में रखा जल किसी डिब्बी में भरकर सुरक्षित रख लें। इस जल की थोड़ी-थोड़ी मात्रा प्रतिदिन पति-पत्नी ग्रहण करें। जन्माष्टमी की रात्र यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा। इसके बाद प्रतिदिन एक माला इस मंत्र की जाप करते रहें। शीघ्र ही खुशखबरी सुनाई देगी।  

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