सभी प्रकार के वास्तुदोष दूर करता है कर्पूर

पं. गजेंद्र शर्मा, ज्योतिषाचार्य

हिंदू पूजा पद्धति में कर्पूर का विशेष स्थान है। पूजा के बाद आरती में कर्पूर का उपयोग किया जाता है। कर्पूर के बिना आरती अधूरी मानी जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कर्पूर का उपयोग क्यों किया जाता है। भारतीय पूजा पद्धति एक वैज्ञानिक पद्धति है। इसमें इस्तेमाल किए जाने वाले प्रत्येक पदार्थ का एक वैज्ञानिक महत्व है। यूं ही किसी वस्तु का उपयोग नहीं किया जाता। कर्पूर जलाने का भी वैज्ञानिक महत्व है। घर में कर्पूर जलाने से बैक्टीरिया, कीटाणु नष्ट होते हैं और यह नकारात्मक उर्जा को सकारात्मक उर्जा में परिवर्तित करता है। इसके अलावा कर्पूर का उपयोग बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है। इसीलिए वेदों के साथ आयुर्वेद में भी कर्पूर का वर्णन प्रमुखता से किया गया है। ज्योतिषीय और वास्तु उपायों में भी कर्पूर का बहुतायत में उपयोग बताया गया है। 


कर्पूर मुख्यतः तीन प्रकार का होता है हिंदुस्तानी देसी या पत्री कर्पूर, भीमसेनी या बरास कर्पूर और चीनी या जापानी कर्पूर। इन तीनों प्रकारों के अलावा आजकल सिंथेटिक कर्पूर भी मिलता है। तो आइये जानते हैं वास्तु शास्त्र में कर्पूर का क्या महत्व है और यह किस तरह अपना प्रभाव दिखाता है:

  • जिस घर में नियमित कर्पूर जलाया जाता है, वहां की वायु स्वच्छ रहती है। दूषित वायु घर से बाहर हो जाती है और वातावरण शुद्ध हो जाता है। सुबह-शाम कर्पूर जलाने से बाहरी नकारात्मक उर्जा घर में प्रवेश नहीं कर पाती। यही कारण है कि हवन, पूजा पद्धति में कर्पूर का उपयोग किया जाता है।
  • देसी कर्पूर जलाने से हवा में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। खासकर प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बीमारियों से बचने के लिए कर्पूर जलाना चाहिए।
  • कर्पूर जलाने से बैक्टीरिया, कीटाणु, मच्छर आदि घर में प्रवेश नहीं करते।
  • कर्पूर को बारीक पीसकर पानी में डालकर पोंछा लगाने से चींटी, कीड़े नहीं आते।
  • किसी भी प्रकार के वास्तुदोष को दूर करने में कर्पूर प्रभावी असर दिखाता है। घर के जिस कमरे में शुद्ध वायु आने-जाने के लिए खिड़की, रोशनदान आदि न हों वहां कांच के बर्तन में कर्पूर रखने से शुद्ध वायु का संचार होता है। और वास्तुदोष भी समाप्त होता है।

कैसे उतारे नजर

कपूर का एक टुकड़ा लेकर जिस व्यक्ति पर नजर हो उसके पैर से लेकर सिर तक घड़ी के घूमने की दिशा में तीन बार उतारें और वहीं फर्श पर कपूर जला दें। कपूर जलाते समय ध्यान रखें इसे पहले से किसी जलते हुए अंगारे या अन्य अग्नि के साधन पर न रखें, बल्कि इसे सीधे फर्श पर रखकर आग लगा दें। नजर उतारने के लिए भीमसेनी कपूर का इस्तेमाल करना चाहिए। 

कपूर से कैसे पता करें बुरी नजर है या नहीं


  • यदि कपूर जलाने पर उसकी लौ स्थिर रहे और उसमें से धुआं बिलकुल न निकलें तो समझें कोई बुरी नजर नहीं है।
  • यदि कपूर जलाने पर उसकी लौ थोड़ी इधर-उधर जाए, लेकिन धुआं न करे तो नजर का हल्का प्रभाव होता है।
  • यदि जलते कपूर की लौ बिना हवा के बार-बार इधर-उधर हो और उसमें से धुआं भी निकले तो निश्चित रूप से बुरी नजर होती है।
  • कपूर जलाने पर उसमें से तेज धुआं निकले और उसकी लौ भी अस्थिर हो तो समझो कड़ी नजर ने जकड़ रखा है।
  • जलते कपूर में से यदि तड़कने, चर-चर की आवाज के साथ धुआं निकले और लौ तेजी से अस्थिर रहे तो सबसे कड़ी नजर होती है।


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