शनि जयंती पर साढ़ेसाती की पीड़ा से मुक्ति दिलाएगा शमी का पौधा

-- शनि जयंती 15 मई 2018 --


पं. गजेंद्र शर्मा, ज्योतिषाचार्य

शास्त्रों में शनि के प्रकोप को कम करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं, लेकिन इन सभी उपायों में से प्रमुख उपाय है शमी के पौधे की पूजा। घर में शमी का पौधा लगाकर पूजा करने से कार्यों में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं। इसकी पूजा का सबसे खास दिन शनि जयंती है, जो 15 मई को है। आइए जानते हैं शनि जयंती पर शमी के पौधे के कौन-कौन से टोटके करके शनि की कृपा प्राप्त की जा सकती है।


1. यदि आपको ऐसा लग रहा है कि आपके या आपके परिवार के किसी सदस्य के ऊपर किसी ने कुछ कर दिया है, या नजर लग गई है तो शनि जयंती के दिन शमी वृक्ष के पांच कांटे लेकर उन्हें गंगाजल से धोकर उन पर सिंदूर लगाकर घर की चारों दिशाओं में बाहर की तरफ लगा दें और एक कांटा छत पर फेंक दें। इससे यदि कोई बाधा होगी तो वह दूर हो जाएगी।

2. शनि की साढ़ेसाती या ढैया के प्रकोप से परेशान हैं या कुंडली में श्ानि की पीड़ा बनी हुई है तो शनि जयंती के दिन प्रात: सूर्योदय के समय स्नान करके शमी के वृक्ष में एक लोटा जल अर्पित करें। इसके नीचे सरसो के तेल के पांच दीये जलाएं। इस तेल में काले तिल और काले उड़द अवश्य डालें और वहीं बैठकर शनि स्तोत्र का 11 या 21 बार पाठ करें। इससे शनि की कृपा प्राप्त होगी।

3. धन की प्राप्ति के लिए शनि जयंती के दिन शमी के वृक्ष की लकड़ी से शनि शांति हवन करवाएं। इसके बाद गरीबों को यथाशक्ति भोजन करवाएं। भोजन में इमरती जरूर हो। हवन से प्राप्त भस्म को एक चांदी की डिबिया में भरकर अपनी तिजोरी में हमेशा रखें और प्रत्येक अमावस्या को बाहर निकालकर इसे धूप-दीप दें। इससे धन की कभी कमी नहीं होगी।

4. आयु और आरोग्य की प्राप्ति के लिए शनि जयंती के दिन शमी के वृक्ष में कच्चा दूध चढ़ाएं। शमी के वृक्ष के तने पर सिंदूर से स्वस्तिक बनाएं और आयु और आरोग्य की प्राप्ति की कामना करें। तने पर लगा सिंदूर थोड़ा सा अपने मस्तक पर लगाएं या जो बीमार व्यक्ति के मस्तक पर लगाएं। इससे रोगी शीघ्र स्वस्थ होता है और उसकी आयु में वृद्धि होती है।

क्यों खास है शमी वृक्ष

  • शमी वृक्ष की लकड़ी को यज्ञ की वेदी के लिए पवित्र माना जाता है। शनिवार को करने वाले यज्ञ में शमी की लकड़ी से बनी वेदी का विशेष महत्व है। एक मान्यता के अनुसार कवि कालिदास को शमी वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या करने से ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
  • शमी गणेश जी का प्रिय वृक्ष है। इसलिए उनकी आराधना में शमी के वृक्ष की पत्तियां अर्पित की जाती है। भगवान गणेश की पूजा में प्रयोग की जाने वाली इस पेड़ की पत्तियों का आयुर्वेद में भी महत्व है। आयुर्वेद की नजर में शमी अत्यंत गुणकारी औषधि है। कई रोगों में इस वृक्ष के अंग काम लिए जाते हैं।
  • बिहार और झारखंड में सुबह उठने के बाद शमी के वृक्ष के दर्शन को शुभ माना जाता है। इन राज्यों में यह वृक्ष अधिकतर घरों के दरवाजे के बाहर लगा मिल जाएगा। लोग किसी भी काम पर जाने से पहले इसके दर्शन करते हैं और इसे माथे से लगाते हैं।
  • शमी वृक्ष पर कई देवताओं का वास होता है। शमी के कांटों का प्रयोग तंत्र-मंत्र बाधा और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए होता है। शमी के पंचाग यानी फूल, पत्तियों, जड़, टहनियों और रस का इस्तेमाल कर शनि संबंधी दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है।
  • नवरात्रि के नौ दिनों में प्रतिदिन शाम के समय शमी वृक्ष का पूजन करने से धन की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले शमी वृक्ष के सम्मुख अपनी विजय के लिए प्रार्थना की थी।
  • शमी की पूजा के साथ ही एक सवाल यह भी है कि इस पेड़ को घर में किस तरफ लगाना चाहिए। शमी वृक्ष को घर के मुख्य दरवाजे के बायी तरफ लगाएं। इसके बाद नियमित रूप से सरसों के तेल का दीपक जलाएं। आपके घर और परिवार के सभी सदस्यों पर सदैव शनि की कृपा बनी रहेगी।

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