जीवन में खुशहाली लाने वाला माह है 'पुरुषोत्तम मास"

-- 16 मई से अधिकमास प्रारंभ --

पं. गजेंद्र शर्मा, ज्योतिषाचार्य

अधिकमास 16 मई से प्रारंभ हो रहा है। इसे मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस माह के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य करना वर्जित रहता है, लेकिन इस दौरान धर्म-कर्म, दान से जुड़े सभी कार्य करना चाहिए क्योंकि ये विशेष फलदायी रहते हैं। अधिकमास भगवान विष्णु का माह होता है। इसमें भगवान विष्णु की आराधना करने से जीवन में समस्त प्रकार के सुख, ऐश्वर्य, पद-प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। अधिकमास में केवल ईश्वर के लिए व्रत, दान, हवन, पूजा, ध्यान आदि करने का विधान है। ऐसा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य प्राप्त होता है। आइए जानते हैं अधिकमास में कौन-कौन से कर्म करना चाहिए :


मंत्र जप : अधिकमास में भगवान विष्णु के प्रिय मंत्र 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:" मंत्र या गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र का नियमित जप करना चाहिए। इस मास में श्रीविष्णु सहस्त्रनाम, पुरुषसूक्त, श्रीसूक्त, हरिवंश पुराण और एकादशी महात्म्य कथाओं के श्रवण से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दौरान श्रीकृष्ण, श्रीमद्भागवत, श्रीराम कथा वाचन और विष्णु भगवान की उपासना की जाती है। इस माह में भगवान विष्णु की उपासना करने का अलग ही महत्व है।

कथा श्रवण और पाठन : पुरुषोत्तम मास में श्रीहरि की कथा पढ़ने और सुनने दोनों अपार महत्व है। इस माह श्रीमद्भागत, श्रीमद्भगवदगीता का नियमित पाठ समस्त प्रकार के रोग-दोष को दूर करता है। इस मास में उपासक को जमीन पर शयन करना चाहिए। इस दौरान एक ही समय भोजन करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। यदि संभव हो तो कथा पढ़ने के समय ज्यादा से ज्यादा लोग आपकी कथा को सुनें।

विष्णु उपासना : पुरुषोत्तम मास में भगवान विष्णु का पूजन और विष्णु सहस्त्रनाम का नियमित जाप विशेष फलदायी होता है। किसी विशेष कार्य के पूर्ण होने की कामना से यदि विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ किया जाए तो वह माह समाप्त होते-होते अवश्य पूरी होती है। शुभ फल प्राप्त करने के लिए मनुष्य को पुरषोत्तम मास में अपना आचरण पवित्र और सौम्य रखना चाहिए। इस दौरान मनुष्य को अपने व्यवहार में भी नरमी रखनी चाहिए।

दान करें : पुराणों में बताया गया है कि इस माह में व्रत-उपवास, दान-पूजा, यज्ञ-हवन और ध्यान करने से मनुष्य के सभी पाप कर्मों का क्षय होकर उन्हें कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है। इस माह में गरीबों को यथाशक्ति दान दिया जाता है। मान्यता है कि दान में दिया गया एक रुपया भी सौ गुना फल देता है।

दीप दान करें : पुरुषोत्तम मास में दीपदान, वस्त्र और श्रीमद्भागवत कथा ग्रंथ दान का विशेष महत्व है। इस मास में दीपदान करने से धन-वैभव के साथ ही आपको पुण्य लाभ भी प्राप्त होता है।

सोना दान करें : अधिकमास के दौरान प्रतिपदा को चांदी के पात्र में घी रखकर किसी मंदिर के पुजारी को दान कर दें। इससे परिवार में शांति बनी रहती है। द्वितीया को कांसे के बर्तन में सोना दान करने से खुशहाली आती है। तृतीया को चना या चने की दाल का दान करने से व्यापार में मदद मिलती है। चतुर्थी को खारक का दान लाभदायी होता है, पंचमी को गुड़ और तुवर की दाल का दान करने से रिश्तों में मिठास बनी रहती है।

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